आयुर्वेद के 6 रस क्या है ?
जब भी हम कोई भी चीज़ खाते हैं तो हमारे जीव पर बहुत प्रकार के स्वाद का अनुभव होता है, जैसे की कभी मीठा, कभी तीखा , कभी कसकसा आदि । इसी स्वाद को हम रस कहते हें। आयुर्वेद के 6 रस और उनके प्रभाव हमारे शरीर पर होतें हैं।
हमारा खान पान और उसके फायदे रसों के हिसाब से तय होता है। आयुर्वेदा के अनुसार जिन खान पान की चीज़ों में रसों की तेज़ी होती है , उससे हम आयुर्वेदिक औषधि के तरह उपयोग कर सकते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार आयुर्वेद के 6 रस और उनके प्रभाव होते हैं।
- मीठा
- अम्ल ( खट्टा)
- लवण ( नमकीन)
- कटु ( चरपरा )
- तिक्त (कड़वा)
- कषाय (कसैला)
सारे रस हमारे जीव पर क्रम शह पाए जाते हैं , जिसमें से सबसे पहले मधुर यानी मीठा रस होता है और सबसे अधिक बल प्रदान करने वाला रस माना जाता है। इसी के साथ क्रम शह रस और उसके बाल कम होते जाते हैं।
रस और उससे जुड़े महाभूत : -
मीठे रस का महाभूत पृथ्वी और जल, अम्ल रस का पृथ्वी और अग्नि, लवण का जल और अग्नि, कटु का वायु और अग्नि, तिक्त का वायु और आकाश, कषाय का वायु और पृथ्वी से है।
आयुर्वेदा रस और उसे जुड़े दोष : -
मीठा रस कफ दोष को बढ़ाता है और वात, पित्त दोषों को घटाता है। अम्ल रस पित्त, कफ दोषों को बढ़ता है और वात दोष को घटाता है। लवण रस कफ, पित्त दोषों को बढ़ाता है और वात दोष को घटाता है। कटु रस पित्त, वात दोषों को बढ़ाता है और कफ दोष को घटाता है। तिक्त रस वात दोष को बढ़ाता है और पित्त, कफ दोषों को घटाता है। कषाय रस वात दोष को बढ़ाता है और पित्त, कफ दोषों को घटाता है।
मीठा रस ( मधुर रस) : -
हम जब भी कोई चीज़ खाते हैं और उसे खाने के बाद मुँह में चिपचिपापन, ख़ुशी, संतुष्टि, की प्राप्ति होती है , उसे हम मीठा रस कहते हैं। यह एक ऐसा रस है जिससे सबसे जयादा पोषण प्राप्त होता है। ये रस कफ दोष को बढ़ाता है। (आयुर्वेद के 6 रस और उनके प्रभाव) आयुर्वेदा में इस रस को औषधि रस माना जाता है। इसमें बहुत सारे धातु पाए जाते हैं। ये रस एक व्यक्ति को बलवान और उम्र बढ़ाता है।
मीठे रस के पदार्थ हैं अखरोट, केला, मुलेठी,दूध, मधु आदि।
अम्ल रस : -
वैसी चीज़ें जिसके सेवन से हमारे आँखे , मुँह और होंठ सिकुड़ जाती हैं और चबाने के बाद दांतों में खट्टापन लगे उससे हम अम्ल रस कहते हैं। यह रस खाने को रुचिकार बनाता है और भूख बढ़ाने में मदद करता है। ये रस शरीर में ताकत बढ़ाती है। अम्ल रस के पदार्थ हैं आमला, नींबू, अनार, आम, छाछ आदि।
लवण रस : -
वैसी चीज़ें जिनके खाने से मुँह से लार तथा गले में जलन पैदा करती है उसे हम लवण रस कहते हैं। ये हमारे शरीर के जकड़न को दूर करता है और शरीर के मल को भी साफ़ करता है। लवण रस अन्य रसों के प्रभाव को कम कर देता है। लवण रस के पदार्थ हैं सेंधानमक,सीसा और क्षार आदि।
कटु रस: -
ऐसी चीज़ें जिसके सेवन से मुँह में चुभन और जीभ के अगले हिस्से को उत्तेजित करने लगता है उसे हम कटु रस कहते हैं। कटु रस की सेवन से मल प्रभाव अच्छे तरीके से हो पाता है। कटु रस के पदार्थ हैं मरिच, पंचकोल, हींग आदि।
तिक्त रस: -
ऐसी चीज़ें जिसके सेवन से मुँह में कड़वा पन लगे उसे हम तिक्त रस कहते हैं। ये ऐसे रस है जो खाने को रुचिकर बनाते हैं। तिक्त रस पेट के कीड़े , मधुमेह , खुजली , त्वचा रोग, मोटापा आदि कम करते हैं। तिक्त रस के पदार्थ हैं चिरायता, नीम, करेला, गिलोय,ख़स आदि। आयुर्वेद के 6 रस और उनके प्रभाव
कषाय रस: -
ऐसी चीज़ें जिसे खाने से जीभ को जड़ या सुन्न कर देता है उसे हम कषाय रस कहते हैं। ये रस भोजन करने के बाद कुछ समय के लिए जीभ को सुन्न कर देता है जिससे हमें कुछ समय के लिए कोई भी स्वाद का पता नहीं लग पाता है। कषाय रस के पदार्थ हैं शहद, कदम्ब, गूलर, कच्ची खांड,हरड़, बहेड़ा आदि।